यूँ जो रोज मेरी गलियों से गुजरा करती हैं |
सबको देख सलाम पर मुझसे परदा करती है
जब भी कभी किस्मत दे जाती है कोई मौका
चुपके-चुपके उनकी नजरें मुझे देखा करती है
कभी सुबह तो कभी शाम ,किसी बहाने से
तेरे हाथों मुझे पैगाम भेजा करती है ,ये हवा
जा कह दे उन्हें ,मुझे भी मोहब्बत है उनसे
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